होलिका दहन 2025: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व – जानें सब कुछ!

होली का त्योहार रंगों, खुशियों और उत्साह का प्रतीक है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस त्योहार की शुरुआत होलिका दहन से होती है? होलिका दहन, जिसे छोटी होली भी कहा जाता है, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके साथ जुड़े शुभ मुहूर्त और पूजा विधि भी खास मायने रखते हैं। इस लेख में हम आपको होलिका दहन 2025 के शुभ मुहूर्त, इसकी तैयारी, और इससे जुड़ी रोचक बातें बताएंगे। तो आइए, इस पर्व को और बेहतर तरीके से समझें और इसे सही समय पर मनाएं!
शुभ मुहूर्त
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार निर्धारित किया जाता है। यह आमतौर पर पूर्णिमा तिथि को प्रदोष काल में होता है, जब भद्रा काल समाप्त हो जाता है। पंडितों के अनुसार, 2025 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हो सकता है (नोट: सटीक समय आपके शहर के पंचांग पर निर्भर करेगा)

- तारीख: 13 मार्च 2025 (संभावित)
- समय: शाम 6:30 बजे से 8:45 बजे तक
- भद्रा काल: दोपहर 2:00 बजे तक (इस दौरान होलिका दहन से बचें)
शुभ मुहूर्त में पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। अधिक जानकारी के लिए अपने स्थानीय पंडित से संपर्क करें या Panchang पर नवीनतम पंचांग अपडेट देखें।
धार्मिक महत्व
होलिका दहन की कहानी भक्त प्रह्लाद और दुष्ट हिरण्यकशिपु से जुड़ी है। हिंदू पुराणों के अनुसार, होलिका ने प्रह्लाद को जलाने की कोशिश की थी, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए और होलिका जल गई। यह घटना बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती है।
- यह पर्व नकारात्मकता को दूर करने का प्रतीक है।
- होलिका दहन के बाद अगले दिन रंगों वाली होली मनाई जाती है।
होलिका दहन की तैयारी कैसे करें?
होलिका दहन को सही तरीके से मनाने के लिए कुछ तैयारियां जरूरी हैं:
- होलिका स्थल तैयार करें: लकड़ियों और सूखी घास से एक छोटी संरचना बनाएं।
- पूजा सामग्री: रोली, मौली, फूल, नारियल, गुड़, और कच्चा सूती धागा इकट्ठा करें।
- होलिका पूजन: शुभ मुहूर्त में होलिका की पूजा करें और उसे अग्नि दें।
- मंत्र: “ॐ नमो भगवते विष्णवे सर्वलोकहिताय नमः” का जाप करें।
होलिका दहन से जुड़े रोचक तथ्य
- क्या आप जानते हैं कि कुछ जगहों पर होलिका दहन के बाद उसकी राख को घर लाया जाता है, क्योंकि इसे शुभ माना जाता है?
- उत्तर भारत में लोग इसे “होलिका दahan” कहते हैं, जबकि दक्षिण भारत में इसे “कामदहन” भी कहते हैं।
एक वास्तविक उदाहरण – वाराणसी में होलिका दहन

पिछले साल वाराणसी में होलिका दहन का आयोजन देखने लायक था। स्थानीय लोगों ने सामूहिक रूप से लकड़ियां इकट्ठी कीं और शुभ मुहूर्त में पूजा की। इस आयोजन में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी शामिल हुए। यह नजारा बुराई पर अच्छाई की जीत का जीवंत उदाहरण था। आप भी अपने शहर में ऐसा आयोजन कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए BBC Hindi पर पारंपरिक उत्सवों के बारे में पढ़ें।
होलिका दहन के बाद क्या करें?
होलिका दहन के बाद अगले दिन होली का रंगोत्सव शुरू होता है। लेकिन दहन के बाद कुछ बातों का ध्यान रखें:
- होलिका की राख को माथे पर लगाएं।
- परिवार के साथ मिलकर प्रह्लाद की कहानी सुनें।
- अगले दिन रंग खेलने की तैयारी करें।
होलिका दहन और पर्यावरण
होलिका दहन में लकड़ियों का प्रयोग पर्यावरण के लिए चिंता का विषय हो सकता है। इसलिए:
- प्लास्टिक या हानिकारक चीजों को जलाने से बचें।
- जैविक सामग्री का प्रयोग करें।
- छोटी होलिका बनाएं ताकि प्रदूषण कम हो।
FAQ
Q1: होलिका दहन का शुभ मुहूर्त कैसे पता करें?
A: शुभ मुहूर्त पंचांग से पता करें। यह प्रदोष काल में भद्रा समाप्त होने के बाद होता है।
Q2: क्या होलिका दहन में बच्चों को शामिल करना चाहिए?
A: हां, लेकिन उनकी सुरक्षा का ध्यान रखें और उन्हें आग से दूर रखें।
Q3: होलिका दहन की राख का क्या करें?
A: इसे माथे पर लगाएं या घर में रखें, क्योंकि इसे शुभ माना जाता है।
Q4: भद्रा काल क्या होता है?
A: भद्रा काल अशुभ समय होता है, जिसमें कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता।
होलिका दहन 2025 का शुभ मुहूर्त और इसकी तैयारी आपको इस पर्व को और खास बनाने में मदद करेगी। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि परिवार और समाज को जोड़ने का भी मौका देता है। तो इस बार शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करें और बुराई को जलाकर अच्छाई का स्वागत करें। क्या आपको यह लेख पसंद आया? नीचे कमेंट करें, इसे सोशल मीडिया पर शेयर करें, और Anmol News पर और ऐसे लेखों के लिए सब्सक्राइब करें!